रिपोर्ट : राहुल बहल
डाकपत्थर श्मशान घाट परिसर में जिम्मेदारों की घोर लापरवाही का एक उदाहरण देखने को मिला है। जहाँ हरे भरे बहुत से पेड़ पौधों को सुखा दिया गया है जबकि यमुना किनारे स्थित इस स्थान पर भूमि की कोई कमी नहीं है।
दुर्भाग्य से ये हाल तब है जब हमारे प्रदेश में धरा को हरा भरा रखने के लिये सरकारी एवं विभिन्न संगठनों सहित निजी स्तर पर हरेला पर्व जैसे विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यक्रम एवं योजनाएं चलाई जाती हैं। ये कार्यक्रम जन भावनाओं से जुड़े होते हैं जिनका एक भावनात्मक दृष्टिकोण भी होता है। बावजूद इसके इन पौधों का इतना दुखद अंत देखने को मिला जो बर्दाश्त करने योग्य नहीं है।
जी हां तस्वीरों में दिख रहे ये काले-काले तमाम पैकेट उन पेड़ पौधों के हैं जिन्हें यहाँ रोपे जाने के लिये संभवतः बरसात के दिनों में लाया गया होगा जिसके बाद इनका कोई संज्ञान नहीं लिया गया और जीवन देने वाले इन पौधों ने धीरे-धीरे यहाँ पड़े-पड़े दम तोड़ दिया। या यूं कहें कि इन पौधों की हत्या कर दी गई जिसके लिये निश्चित तौर पर बहुत से लोग जिम्मेदार होंगे।
100 से अधिक ये पौधे पीपल, नीम, आम, जामुन एवं अन्य कई प्रजातियों के बताते जा रहे हैं। सवाल यह कि इन पौधों को कौन यहाँ लाया होगा, ये कहां से लाये गये होंगे, इन्हें भला क्यों नहीं रोपा गया होगा। कमाल की बात है कि बहुत से आम और खास लोग यहाँ दाह संस्कार के लिये आये होंगे उन्हें ये पौधे दिखे भी होंगे लेकिन दुर्भाग्य से समय रहते इनका कोई संज्ञान नहीं लिया गया और ना ये पता किया गया कि किसकी लापरवाही से ये कृत्य हुआ है और कौन-कौन लोग इसके लिये दोषी है। वैसे अधिकांश मौको पर पौधा रोपण सोशल मीडिया पर तस्वीरें वायरल करने तक ही सीमित रह गया है।
