रिपोर्ट : राहुल बहल
लखवाड़ बाँध निर्माण के दौरान का ये नज़ारा निश्चित ही आपको विचलित कर सकता है। हमारे पहाड़ों को इस तरह ब्लास्ट के जरिये तोड़ना अत्यंत कष्टदायक है। जीवनदायिनी मां यमुना की धारा को भी इस कृत्य से अत्यधिक कष्ट उठाना पड़ रहा होगा हालांकि पहाड़ो में ब्लास्ट किये जाने का बाँध प्रभावित कुछ ग्रामीणों ने विरोध किया है, संभवतः निर्माणाधीन कंपनी के पास ब्लास्ट करने की अनुमति रही होगी, लेकिन प्रकृति के साथ इस तरह की छेड़छाड़ पहाड़ो को बड़े संकट की ओर धकेल रही है, इससे पहाड़ तो थरथरा ही रहा है साथ ही जीव जंतुओं के जीवन पर भी संकट खड़ा हो रहा है। दरअसल उत्तराखण्ड के पहाड़ों में विकास के नाम पर ब्लास्ट किया जाना कोई नई बात नहीं है लेकिन इसके भयावह दुष्परिणाम कुछ समय बाद सामने आते हैं असल में ब्लास्ट पहाड़ को तोड़ते ही नहीं बल्कि दूर तक पहाड़ो को हिला देते हैं उन्हें अंदरूनी स्तर पर कमजोर कर देते हैं जिससे बाद में बड़ी आपदाओं के अवसर पैदा हो जाते हैं। सूत्र जानकारी के अनुसार अतिसंवेदनशील इस विषय पर ग्रामीणों ने आगामी दस अप्रैल को कंपनी के अधिकारियों के साथ बैठक का आह्वान किया है।
