रिपोर्ट : राहुल बहल
खनन सामग्री से भरे ओवरलोड डंपरों के यह वीडियो सिस्टम को आईना दिखाने के लिए काफी हैं। वीडियो में साफ देखा जा सकता है, कि किस तरह से RBM से भरे ओवरलोड डंपर सड़कों पर दौड़ रहे हैं। सड़क पर दौड़ते ओवरलोड डंपरों की यह तस्वीरें विकासनगर क्षेत्र की हैं, जहाँ बाड़वाला यमुना नदी के एक पट्टे से RBM को कैंचीवाला तक पहुंचाया जा रहा है। इतना ही नहीं बाड़वाला स्थित इस पट्टे पर धड़ल्ले से JCB नुमा ट्रैक्टर मशीनों से यमुना नदी को छलनी किया जा रहा है। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कैसे इन JCB नुमा मशीनों से डंपर में खनिज भरा जा रहा है। मामले में सूत्रों की मानें तो कैंचीवाला में इन दिनों स्टोन क्रेशर की बाढ़ आई हुई है। जिनके लिये बड़ी मात्रा में RBM (कच्चा माल) लेना एक चुनौती बनी हुई है। ऐसे में उन्हें आसानी से RBM प्राप्त हो पाये इसके लिये समय-समय पर कुछ न कुछ जुगाड़ किये जाते रहे हैं। अब बाड़वाला से खुल्लम खुल्ला रात के अंधेरे में ये डंपर ओवरलोड RBM लेकर कहां जा रहे हैं, ये बात किसी से छुपी नहीं है। हद की बात यह कि खनन विभाग ओवरलोड के इस खेल को अवैध मामने को तैयार नहीं है, जिला खान अधिकारी ये बात बोल कर पल्ला झाड़ रहे हैं, कि जितनी खनन सामग्री डंपरो में भरी है उतना ही डंपरो से सरकार को राजस्व प्राप्त हो रहा है।
खनन विभाग के मुताबिक बाढ़वाला में निजी नाप भूमि का एक पट्टा स्वीकृत है। लेकिन यहां से निकलने वाले वाहनों में धड़ल्ले से क्षमता से अधिक खनन सामग्री ढोई जा रही है जिस पर सवाल उठ रहे हैं।
वहीं दूसरी ओर इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि खनन से भरे ये ओवरलोड डंपर सड़क पर मौत बनकर दौड़ रहे हैं। बीते कुछ समय में डंपर से हुए हादसे इस बात की तस्दीक कर रहे हैं।
यह बात भी काबिले गौर है कि हरिद्वार सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत लोकसभा में प्रभावी तरीके से अवैध खनन के मुद्दे को उठा चुके हैं। यही नहीं क्षेत्रीय विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने तो यहां तक कह दिया था की पूरी नदी चोरों से भरी पड़ी है उन्होंने खुद खनन में लिप्त एक ट्रैक्टर ट्राली को नवाबगढ़ में पकड़ लिया था। जिसके बाद बड़ा राजनैतिक भूचाल भी देखने को मिला था। जिसका नतीजा यह हुआ कि अवैध खनन को लेकर सरकार को कड़ी कार्रवाई करनी पड़ी। क्षेत्र में कई दिनों तक खनन कार्य पर रोक लगा दी गई। स्थिति यह हो गई की खनन से जुड़े कारोबारियों को कलेक्ट्रेट और एसएसपी दफ्तर पर खनन कार्य खुलवाने के लिये प्रदर्शन तक करना पड़ा। उस दौरान खनन से जुड़े लोगों का कहना था कि हम व्यापारी हैं चोर नहीं, लेकिन वर्तमान की यह तस्वीरें कुछ और ही दास्तान बयां कर रही हैं। अन्य संबंधित विभाग और खुद परिवहन विभाग भी ऐसे वाहनों को लेकर आंखें मूंदे बैठा हुआ है। जिला खान अधिकारी नवीन सिंह का कहना है की बाढ़वाला में निजी नाप की भूमि पर लाॅट आवंटित किया गया है। यहां से निकलने वाले प्रत्येक वाहन से क्षमता के अनुरूप राजस्व की वसूली की जा रही है। अब सवाल उठना लाज़िमी है कि जब प्रत्येक वाहन की (टायर के हिसाब से) क्षमता निश्चित है, तो उसमें क्षमता से अधिक खनन सामग्री कैसे ढोई जा रही है और क्या खनन विभाग की जिम्मेदारी सिर्फ राजस्व वसूली तक ही सीमित है, उसे मानकों और लोगों की जान माल से कुछ लेना-देना नहीं है??
