रिपोर्ट : राहुल बहल
इन दिनों कालसी यमुना नदी में युद्ध स्तर पर चल रहे खनन के कार्य पर स्थानीय ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा है। दरअसल ग्रामीणों का खनिज चुगान की क्रियाओं से जीना दूभर हो गया है, खनिज चुगान के लिये लगाई गई बड़ी बड़ी हाइड्रोलिक मशीनों के शोर से ग्रामीणों की नींदे उड़ गई हैं।
अब जब ग्रामीणों ने यमुना नदी में चल रहे खनन कार्य पर मोर्चा खोला तो शासन प्रशासन को ग्रामीणों के समक्ष नतमस्तक होना ही पड़ा। इस दौरान मौके पर पहुँचे खनिज विभाग और तहसील के अधिकारियों को ग्रामीणों के गुस्से का सामना करना पड़ा ग्रामीणों ने विभागीय अधिकारियों को नियम कायदों का अच्छा पाठ पढ़ाया। ग्रामीणों की पट्टा संचालकों से भी तीखी नोंक झोंक देखने को मिली।
दरअसल ग्रामीणों का आरोप है कि यहाँ यमुना नदी में जो पट्टा संचालित है उस पर कार्य मानकों के विपरीत हो रहा है पट्टे की आड़ में नदी को कहीं भी मनमर्जी से चीरा फाड़ा जा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि पूरी रात यहाँ जेसीबी व पोकलैंड मशीन और देशी जुगाड़ टमटम के माध्यम से खनन किया जा रहा है। खनिज ढुलान में जुटे वाहनों की आवाज से रातों को लोग सो भी नहीं पा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर 27 करोड़ की लागत से ग्रामीणों की सुरक्षा के लिये बनाये गए तट बन्ध की जड़ो से भी खनन किया जा रहा है जिससे तट बंद को भी खतरा पैदा हो गया है। वहीं ग्रामीणों ने प्रशासन पर भी सवाल खड़े किये हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन की मिली भगत से ही यहाँ ये सब संभव हो रहा है।
ग्रामीणों ने बताया कि कई बार शिकायत के बावजूद भी तहसील प्रशासन, वन विभाग, खनन विभाग द्वारा कोई कार्यवाई अमल में नहीं लाई गई। बहरहाल ग्रामीणों द्वारा काफी हंगामा करने के बाद खनन विभाग और तहसीलदार ने दो पोकलैन ओर दो टमटम ओर ट्रैक्टर को सीज किया है और अन्य कार्यवाई गतिमान है।
