Report : Rahul Bahal
देश के पहले “वेटलैंड कंजर्वेशन रिजर्व” (आसन झील) में सात समंदर पार से प्रवास के लिये पहुँचने वाले अधिकांश प्रवासी परिंदो का कुनबा इस साल वक़्त से पहले ही अपने वतन लौट गया। दरअसल, ग्लोबल वार्मिंग के चलते अचानक बढ़े तापमान ने प्रवासी पक्षियों के प्रवास में खलल डाला, लिहाजा हैरान कर देने वाले आंकड़े सामने आए हैं।
दरअसल इस साल फरवरी माह की शुरुआत में अचानक गर्मी बढ़ने के चलते इन मेहमान परिंदो की संख्या यहाँ तेजी से घटी। अब मार्च तक इनकी संख्या केवल 500 के लगभग ही बची है, जबकि आम तौर पर यहाँ अक्टूबर माह से मार्च तक का समय इन मेहमान पक्षियों के लिये अनुकूलित माना जाता है, लेकिन इस साल अचानक फरवरी माह में बढ़े तापमान ने शोधकर्ताओं की भी चिंता बढ़ा दी है। वहीं निकट भविष्य में पर्यटन एवं पक्षी प्रेमियों के लिये भी यह निराशाजनक साबित हो सकता है।
विंटर सीज़न के अपने नियमित क्रम में इस साल भी दर्जनों प्रजातियों के पाँच हजार से ज्यादा साइबेरियन बर्ड्स यहाँ प्रवास के लिये पहुँचे थे। इस दौरान साइबेरियाई पक्षियों की अठखेलियाँ और कलरव से पूरी आसन झील गुलज़ार नज़र आई, पर्यटन और पक्षी प्रेमियों के लिये ये नज़ारा मंत्रमुग्ध कर देने वाला रहा। साथ ही विशेषज्ञों की देखरेख में समय पर बर्डस् काउंटिंग भी पूरी कर ली गई थी, वहीं इन मेहमान परिंदो की सुरक्षा को लेकर भी वन विभाग द्वारा लगातार गश्त कर चौकसी बरती गई। इस साल भी तमाम शोधकर्ता एवं पक्षी प्रेमियों का यहाँ तांता लगा रहा। इस साल शुर्खाब, कौमनकुट, लिटिल ग्रेब, क्रिस्टेड ग्रेब, इंडियन शेग, ग्रेट हेरोन, मलार्ड, नार्थन पिनटेल आदि तमाम प्रजातियों के पंक्षी यहाँ प्रवास के लिये पहुँचे थे।
बाइट : प्रदीप सक्सेना, वन अधिकारी, वेटलैंड कंजर्वेशन रिजर्व” (आसन झील)
