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कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का निधन, लंबे समय से थे बीमार

पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता नटवर सिंह का 95 साल की उम्र में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. वह गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में भर्ती थे, जहां उनका इलाज चल रहा था.

नटवर सिंह एक प्रमुख कांग्रेसी थे, जिन्होंने यूपीए के दौर में डॉ. मनमोहन सिंह के अधीन काम किया था. सिंह राजस्थान के भरतपुर जिले के रहने वाले थे. उन्होंने अजमेर के मेयो कॉलेज और ग्वालियर के सिंधिया स्कूल से पढ़ाई की. राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री के निधन पर अपनी संवेदना व्यक्त की है.

भजनलाल शर्मा ने X पर लिखा, ‘भारत सरकार में पूर्व विदेश मंत्री, पद्म विभूषण से सम्मानित कु. नटवर सिंह जी के निधन का समाचार अत्यन्त दुःखद है. प्रभु श्रीराम जी से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान तथा शोकाकुल परिवार को इस दुख की घड़ी में संबल प्रदान करें.’

कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर नटवर सिंह के निधन पर दुख जताया है. उन्होंने लिखा, ‘पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह जी के निधन का समाचार दुखद है. ईश्वर उनके परिजनों को यह क्षति सहने की शक्ति दे और दिवंगत आत्मा को सदगति प्रदान करें.’

 

कौन थे कुंवर नटवर सिंह
कुंवर नटवर सिंह ने मई 2004 से दिसंबर 2005 तक विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया. सिंह को 1953 में भारतीय विदेश सेवा में चुना गया था. 1984 में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के सदस्य के रूप में चुनाव लड़ने के लिए सेवा से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने चुनाव जीता और 1989 तक केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया. इसके बाद, 2004 में भारत के विदेश मंत्री बनाए जाने तक उनका राजनीतिक करियर उतार-चढ़ाव भरा रहा.

शुरुआती शिक्षा
गोविंद सिंह और उनकी पत्नी प्रयाग कौर के चौथे बेटे, सिंह का जन्म भरतपुर रियासत में उन्होंने मेयो कॉलेज, अजमेर और सिंधिया स्कूल, ग्वालियर में शिक्षा प्राप्त की, जो भारतीय राजघरानों और कुलीनों के लिए पारंपरिक शैक्षणिक संस्थान थे. इसके बाद उन्होंने सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली से स्नातक की डिग्री ली. फिर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के कॉर्पस क्रिस्टी कॉलेज में अध्ययन किया और चीन में पेकिंग विश्वविद्यालय में कुछ समय के लिए विजिटिंग स्कॉलर रहे.

व्यक्तिगत जीवन
अगस्त 1967 में सिंह ने महाराजकुमारी हेमिंदर कौर (जन्म जून 1939) से विवाह किया, जो पटियाला राज्य के अंतिम महाराजा यादविंद्र सिंह की सबसे बड़ी बेटी थीं. हेमिंदर की मां मोहिंदर कौर भी सार्वजनिक जीवन में सक्रिय थीं.

कैसा था राजनयिक करियर
सिंह 1953 में भारतीय विदेश सेवा में शामिल हुए और 31 वर्षों तक सेवा की. उनकी शुरुआती नियुक्तियों में से एक बीजिंग, चीन (1956-58) में थी. उसके बाद उन्हें भारत के स्थायी मिशन (1961-66) में न्यूयॉर्क शहर में और यूनिसेफ (1962-66) के कार्यकारी बोर्ड में भारत के प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया गया. उन्होंने 1963 और 1966 के बीच कई संयुक्त राष्ट्र समितियों में काम किया. 1966 में, उन्हें इंदिरा गांधी के अधीन प्रधानमंत्री सचिवालय में तैनात किया गया था. उन्होंने 1971 से 1973 तक पोलैंड में भारत के राजदूत, 1973 से 1977 तक यू.के. में भारत के उप उच्चायुक्त और 1980 से 1982 तक पाकिस्तान में भारत के राजदूत के रूप में कार्य किया. उन्होंने मार्च 1982 से नवंबर 1984 तक विदेश मंत्रालय में सचिव के रूप में कार्य किया. उन्हें 1984 में भारत सरकार से भारत का तीसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण मिला.










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