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Big breaking :-उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय हर्रावाला में चतुर्थ श्रेणी के रिक्त 84 पदों को आउटसोर्स से भरे जाने के मामले में शासन ने दिया बड़ा अल्टीमेटम

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उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय हर्रावाला में चतुर्थ श्रेणी के रिक्त 84 पदों को आउटसोर्स से भरे जाने के सम्बंध में।

 

उपर्युक्त विषयक शासन के पत्र संख्या-465 दिनांक 21.03.2024 का सन्दर्भ ग्रहण करने का कष्ट करें जिसके माध्यम से उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में कार्य की आवश्यकतानुसार विश्वविद्यालय के ढांचे में चतुर्थ श्रेणी कार्मिको के स्वीकृत पदों के सापेक्ष रिक्त कुल 84 पदों पर आउटसोर्स के माध्यम से आगामी 11 माह अथवा दिनांक 28.02.2025 तक सेवायें लिये जाने की अनुमति प्रदान की गयी थी। शासन द्वारा प्रदत्त उक्त अनुमति के उपरान्त भी विश्वविद्यालय द्वारा प्रकरण में चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों को भरे जाने के सम्बंध में कोई कार्यवाही नहीं की गयी। प्रकरण में कार्यवाही किये जाने के स्थान पर विश्वविद्यालय द्वारा प्रकरण में भ्रम की स्थिति उत्पन्न की जा रही है, तथा विश्वविद्यालय द्वारा शासन को बार-बार अनावश्यक पत्राचार करते हुए उक्त रिक्त 84 पदों पर नियम विरूद्ध तरीके से शासन की अनुमति के बिना रखे गये ऐसे कार्मिकों को आउटसोर्स से रखे जाने की अनुमति मांगी जा रही है, जिनकी तैनाती वर्ष 2017 से 2022 के मध्य हुयी है जिस अवधि में विश्वविद्यालय द्वारा किये गये कार्यों की सतर्कता जाँच प्रचलित है।

2- उल्लेखनीय है कि इस सम्बंध में विश्वविद्यालय द्वारा किये जा रहे अनुरोध के क्रम में शासन के पत्र संख्या-1085 दिनांक 31.07.2024 के द्वारा विश्वविद्यालय के गठन से पूर्व ऋषिकुल / परिसर हरिद्वार में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी/तृतीय श्रेणी के ऐसे कार्मिकों, जिनकी तैनाती सतर्कता जाँच की अवधि (वर्ष 2017 से वर्ष 2022 के मध्य) से पूर्व निदेशक आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवायें द्वारा की गयी थी, की सूचना/आख्या विश्वविद्यालय से शासन को उपलब्ध कराने हेतु निर्देशित किया गया है, किन्तु विश्वविद्यालय द्वारा उक्त के सम्बंध में शासन को आतिथि तक कोई भी सूचना उपलब्ध नहीं करायी गयी है।

3- यह भी उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय द्वारा गुरुकुल / ऋषिकुल एवं मुख्य परिसर में समूह ग के रिक्त 72 पदों पर भर्ती हेतु दिनांक 22.07.2021 को विज्ञप्ति प्रकाशित की गयी थी, जिस पर विश्वविद्यालय द्वारा आतिथि तक कोई भी कार्यवाही नहीं की गयी है, जो कि अत्यन्त खेदजनक है।

4- अतः इस सम्बंध में मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि यदि विश्वविद्यालय को चतुर्थ श्रेणी कार्मिकों की वास्तव में आवश्यकता है तो, शासन के पत्र दिनांक 21.03.2024 के द्वारा प्रदत्त अनुमति के क्रम में नियमानुसार तैनाती की कार्यवाही प्रारम्भ करते हुए कृत कार्यवाही से शासन को अवगत कराना सुनिश्चित करें।

5- यदि विश्वविद्यालय द्वारा विषयगत प्रकरण के सम्बंध में 02 दिनों के भीतर कोई भी कार्यवाही नहीं की जाती है तो, यह मान लिया जायेगा कि विश्वविद्यालय को चतुर्थ श्रेणी कार्मिकों की आवश्यकता नहीं है. जिसके दृष्टिगत शासन के उक्तवर्णित शासनोदश दिनांक 21.03.2024 को निरस्त कर दिया जायेगा।










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