उपनल कर्मी बोले, सरकार कोर्ट से एसएलपी वापस ले
उपनल संविदा कर्मचारी संगठन ने नियमितीकरण का मामला सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन होने के बावजूद कर्मचारियों को नौकरी से हटाने का विरोध किया।
गुरुवार को संगठन पदाधिकारियों की ऑनलाइन बैठक में सरकार से सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी को वापस लेने की मांग की गई। साथ ही संगठन ने सरकार से वन टाइम सेटलमेंट फार्मूले के तहत नियमितीकरण और तब तक हर साल मानदेय में 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी करने की मांग भी है।
प्रदेश अध्यक्ष रमेश शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के स्तर से निर्णय होने से पहले ही कर्मचारियों को हटाना एक प्रकार से कोर्ट की अवमानना है। मालूम हो कि हाईकोर्ट ने वर्ष 2018 में उपनल कर्मियों के चरणबद्ध तरीके से नियमितीकरण के आदेश दिए थे। सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की है। कुछ कर्मचारियों ने भी इस मुददे पर केस किया हुआ है। शर्मा ने सरकार से तत्काल एसएलपी को वापस लेने और वन टाइम सेटलमेंट फार्मूले से नियमितीकरण करने की मांग की।
महामंत्री प्रमोद गुसाई ने कहा कि कर्मचारियों को मानदेय बढ़ने का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। उनसे ईएसआई
का लाभ भी छिन गया है। मंहगाई के दौरान अल्प वेतन में जीवन बसर करना काफी मुश्किल हो चुका है। कहा कि यदि ऐसा न हुआ तो कर्मचारियों को आंदोलन को मजबूर होना पड़ेगा। बैठक में विनोद बिष्ट, श्याम मेवाड़ी, मनोज जोशी, अनिल कोठियाल, तेजा सिंह बिष्ट आदि मौजूद रहे।
ये हैं मुख्य मांगें
उपनल कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त न की जाएं। जो हटाए गए हैं, उन्हें तत्काल बहाल किया जाए।
■ हर साल उपनल कर्मियों का मानदेय 20 प्रतिशत तक बढ़े और ईएसआई का लाभ बरकरार रहे।
■ लैब टैक्निशियन, ओटी टैक्निशियन, प्रयोगशाला सहायक, आईटीआई अनुदेशक आदि श्रेणी के पदों को उनकी शैक्षिक योग्यता के अनुसार उच्चीकरण।
राज्य कर, कृषि और अन्य विभाग के हटाए गए कर्मचारियों को माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए शीघ्र बहाल किया जाय।
मृतक आश्रित को नौकरी का प्रावधान और परिवार की सहायता के लिए एकमुश्त सहायता राशि को प्रावधान


