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बोले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, राजनीति वाले राजनीति करें, धर्माचार्यों को करने दें धर्म का काम

ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि ब तक आप सनातन धर्म में हैं तब तक वो न्याय व्यवस्था आप पर लागू है और आपको भी उसका फल भोगना ही पड़ेगा।

देश में राजनीति वाले राजनीति का काम करें, धर्म का काम केवल धर्माचार्यों को करने दें। हिंदू अब केवल उसे ही वोट देगा जो गोमाता के नाम पर एक मंच पर आकर शपथपत्र देगा। चैत्र मास के अंत में एक सम्मेलन होगा, इसमें सभी राजनीतिक दल एक मंच पर आकर गोमाता के समर्थन में हां या न में जवाब दें।

उपरोक्त दून के रिस्पना पुल के समीप होटल में आयोजित धर्मसभा में ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहीं। शंकराचार्य ने कहा, देश की जनता फिर भी आचार्य के शासन को समझती है, लेकिन देश के शासक परलोक की बात से दूर हो चुके हैं, वो समझते हैं कि परलोक नाम की कोई चीज है ही नहीं।

कहा, जब तक आप सनातन धर्म में हैं तब तक वो न्याय व्यवस्था आप पर लागू है और आपको भी उसका फल भोगना ही पड़ेगा। कहा, गोमाता का सम्मान हिंदू धर्म में सबसे बड़ा है। यूपी के मुख्यमंत्री गोरक्षपीठ से आते है और उत्तराखंड के बालक है, इसलिए उनकी अधिक जिम्मेदारी होती है। कुर्सी ज्यादा दिनों की नहीं होती है इसलिए इस विषय पर तत्काल विचार करें।

कहा, 35 करोड़ हिंदू भी अगर ये संकल्प उठा लें तो अगले चुनाव के बाद देश में गाय की ही सरकार होगी। कहा, गाय को पशु कहना उसका अपमान करना है। जो नास्तिक है उनके लिए गाय है जो आस्तिक है उनके लिए वह गोमाता है। कहा, धर्माचार्य का पद ऊंचा है और राजनीति का पद छोटा है।

कहा, जो साधु-महात्मा राजनीतिक कुर्सी पर बैठ रहे हैं या बैठना चाहते हैं उन्होंने अपनी कुर्सी के पद को कुछ माना ही नहीं है। यदि कोई संन्यास धारण करता है तो उसके नाम के साथ महाराज खुद जुड़ जाता है। कहा, हम राजनीति नहीं करना चाहते है, लेकिन जब वो हमारे धर्म में हस्तक्षेप करने लग जाएं, तो क्या हम अपने क्षेत्राधिकार की भी रक्षा करने का वचन न निभाएं। कहा, ये हमारा क्षेत्राधिकार है, धर्म के मामले के हम सर्वेसर्वा हैं। देश में अभी हिंदुओं की बहुमत है तो दूसरों को सामंजस्य बनाकर चलना होगा। कहा, दिवाली से पहले, गोवर्धन से पहले या गोपाष्टमी से पहले उत्तराखंड की सरकार गोमाता को राज्यमाता घोषित करे। अब ऐसे ही हर जिले में यात्रा निकलेगी और हर जिले में गोध्वज स्थापित होंगे।

 

गोध्वज यात्रा राजधानी देहरादून पहुंची
गोमाता को राष्ट्रमाता की प्रतिष्ठा दिलाने के लिए देश में चल रही गो ध्वज यात्रा शनिवार को दून पहुंची। यहां पास ही स्थित एक गोशाला में गोध्वज स्थापित किया गया। यहां से फिर आयोजन स्थल तक कलश यात्रा निकाली गई। इसके बाद गार्डन में भारतीय गो क्रांति मंच की ओर से धर्मसभा आयोजित की गई। इसमें गोमाता को राष्ट्रमाता को सम्मान दिलाने की हुंकार भरी गई।

दिल्ली में गोपाष्टमी पर होगा सम्मेलन
गोध्वज स्थापना भारत यात्रा के बाद अब गोपाष्टमी पर दिल्ली में तीन दिवसीय एक सम्मेलन होगा। संत गोपालमणि महाराज ने कहा, आज तक किसी भी पार्टी ने गो हत्या को नहीं रोका। ये 100 करोड़ हिंदुओं पर कलंक है। कहा, मतदान उसे ही करें जो गोमाता को राष्ट्रमाता, राज्यमाता का सम्मान दे।

ये रहे मौजूद
जगदगुरु शंकराचार्य आश्रम के पीठाधीश्वर सहजानंद महाराज, महंत कृष्णा गिरी महाराज, गोक्रांति मंच के संरक्षक बलबीर सिंह, सूर्यकांत धस्मामा, रवि गिरी महाराज, शूरवीर सिंह, मनोहर लाल जुयाल, मंत्री प्रसाद नैथानी, यशवंत रावत, आनंद सिंह, रविंद्र सिंह, प्रीतम भरतवाण, मंजू नौटियाल, राम भूषण बिजल्वाण, बाबी पंवार आदि।










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