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Big breaking :-खुलासाः उत्तराखंड में नौकरी के लिए बनवाए फर्जी सर्टिफिकेट,स्वास्थ्य विभाग की नर्सिंग अफसरों की भर्ती में आएं मामले

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प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग की नर्सिंग अफसरों की भर्ती में फर्जी स्थाई प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी पाने का मामला सामने आया है। भर्ती प्रक्रिया के बाद प्रमाण पत्रों की जांच में यह खुलासा हुआ है। फर्जी प्रमाण पत्र साबित होने पर दो चयनितों का चयन भी विभाग ने रद्द कर दिया है। जबकि छह की जांच चल रही है। प्रदेश में कुछ समय पूर्व स्वास्थ्य विभाग में नर्सिंग अफसरों के 1500 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई। इस दौरान विभाग को आठ चयनितों के खिलाफ, उनके स्थाई निवास प्रमाण पत्र फर्जी होने की शिकायतें मिलीं। विभाग ने जांच कराई तो सामने आया कि उक्त चयनितों के स्थाई निवास प्रमाण पत्र बिना मानक पूरा किए ही बना दिए गए हैं।

 

 

 

उत्तराखंड में सरकारी नौकरी पाने को लोग फर्जी स्थाई निवास प्रमाण पत्र बनवा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की नर्सिंग अफसरों की भर्ती से ये खुलासा हुआ। भर्ती प्रक्रिया के दौरान प्रमाण पत्रों की जांच में ऐसे आठ मामले सामने आए। इस संबंध में विभाग द्वारा कराई जांच में दो चयनितों के स्थाई निवास प्रमाण पत्र फर्जी साबित हुए, जबकि छह की जांच जारी है। फर्जी प्रमाण पत्र वाले दोनों अभ्यर्थियों का चयन रद्द कर दिया गया है।

 

 

 

 

उत्तराखंड में समूह ‘ग’ की सरकारी नौकरियों के लिए स्थाई निवास प्रमाण पत्र की अनिवार्यता है। इस शर्त को पूरा करने के लिए दूसरे राज्यों से आए कई लोग, उत्तराखंड में स्थाई निवास प्रमाण पत्र बनवा रहे हैं। प्रदेश में पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग में नर्सिंग अफसरों के 1500 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई। इस दौरान विभाग को आठ चयनितों के खिलाफ, उनके स्थाई निवास प्रमाण पत्र फर्जी होने की शिकायतें मिलीं। विभाग ने जांच कराई तो सामने आया कि उक्त चयनितों के स्थाई निवास प्रमाण पत्र बिना मानक

 

 

 

पूरा किए ही बना दिए गए हैं। ऐसे में स्थाई निवास प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया सवालों के घेरे में है। आशंका है कि हाल के वर्षों में मैदानी तहसीलों से जारी हुए कई अन्य स्थाई निवास

प्रमाण पत्र भी फर्जी हो सकते हैं। संविदा एवं बेरोजगार नर्सिंग अधिकारी महासंघ के पूर्व अध्यक्ष हरिकृष्ण बिजल्वाण ने कहा कि सभी आवेदकों के प्रमाण पत्रों की गहन जांच जरूरी है।

 

 

 

स्थाई निवास को 15 साल रहना अनिवार्य

उत्तर प्रदेश पुनर्गठन ऐक्ट के तहत 20 नवंबर 2001 में दिए गए प्रावधानों के तहत उत्तराखंड में स्थाई निवास प्रमाण पत्र बनाया जा सकता है। इसके लिए राज्य में लगातार 15 साल का निवास दिखाना अनिवार्य है। इसके तहत भूमि की रजिस्ट्री जिसमें 15 साल निवास की पुष्टि होती है। आधार कार्ड, शिक्षा संबंधी प्रमाण पत्र, बिजली पानी का बिल, बैंक पासबुक, नगर निगम हाउस टैक्स की प्रति, गैस कनेक्शन, वोटर आईडी कार्ड, राशन कार्ड की प्रति दिखाना इसके लिए अनिवार्य है।

 

 

 

नर्सिंग अधिकारी पद पर नर्सिंग अ आठ युवाओं के स्थाई निवास प्रमाण पत्र फर्जी होने की शिकायत मिली थी। जांच कराई तो दो अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र गलत मिले। इस पर उक्त दोनों का चयन निरस्त कर दिया गया है जबकि अन्य की जांच चल रही है। जांच रिपोर्ट के आधार पर अन्य के संदर्भ में निर्णय लिया जाएगा। – डॉ. आर. राजेश कुमार, सचिव स्वास्थ्य










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