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सरकार का बड़ा निर्णय, 30 दिसम्बर तक पीपीपी मोड पर संचालित सभी अस्पताल हटाए जाएंगे प्रदेश से।

उत्तराखंड- उत्तराखंड में कई सरकारी हॉस्पिटल पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर संचालित हो रहे हैं। जिनकी स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर हमेशा ही सवाल खड़े होते रहे है. पीपीपी मोड पर संचालित होने वाले सरकारी हॉस्पिटल को लेकर सरकार को भी लगातार शिकायतें मिल रही थी, ऐसे में सरकार ने सरकारी हॉस्पिटलों को पीपीपी मोड से संचालित करने का फैसला वापस ले लिया है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 30 दिसंबर तक सभी पीपीपी मोड पर संचालित अस्पतालों को वापस ले लिया जाएगा।

प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने और मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ दिए जाने को लेकर साल 2017 में सरकार ने पीपीपी मोड पर अस्पतालों के संचालन का निर्णय लिया था। उस दौरान वर्ल्ड बैंक की ओर से पोषित उत्तराखंड हेल्थ सिस्टम डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश के 9 राजकीय अस्पतालों का पीपीपी मोड पर संचालन शुरू किया गया था. जिसमें टिहरी, पौड़ी और नैनीताल जिले में मौजूद तीन-तीन अस्पतालों को पीपीपी मोड पर दिया गया था।वहीं हाल ही में राज्य सरकार ने टिहरी गढ़वाल में संचालित जिला चिकित्सालय बौराड़ी समेत दो अन्य अस्पतालों बिलकेश्वर और देवप्रयाग को पीपीपी मोड से वापिस ले लिया था। वर्तमान समय ने अभी भी पौड़ी और नैनीताल जिले के 6 अस्पताल पीपीपी मोड पर संचालित हो रहे है.इसके तहत पौड़ी जिले में जिला चिकित्सालय पौड़ी, संयुक्त चिकित्सालय पाबौ और संयुक्त चिकित्सालय घिण्डियाल के साथ ही नैनीताल जिले में रामदत्त जोशी संयुक्त चिकित्सालय रामनगर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भिकियासैंण और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बीरोंखाल शामिल है।ऐसे में अब उत्तराखंड सरकार इन सभी अस्पतालों को भी पीपीपी मोड से हटाकर अपने नियंत्रण में लेने जा रही है। क्योंकि वर्ल्ड बैंक की ओर से पोषित उत्तराखंड हेल्थ सिस्टम डेवलपमेंट प्रोजेक्ट का कार्यकाल 31 दिसंबर को समाप्त हो रहा है. वहीं, स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने निजी चैनल से बातचीत करते हुए कहा कि उत्तराखंड राज्य में वर्ल्ड बैंक के जरिए तमाम हॉस्पिटल संचालित हो रहे है।उन्होंने बताया कि साल 2017 में सरकार ने पीपीपी मोड पर कई अस्पतालों को संचालित करने का निर्णय लिया था।क्योंकि उस दौरान राज्य में डॉक्टर्स की काफी कमी थी, लेकिन अब राज्य में डॉक्टर्स की संख्या भी प्रर्याप्त है. साथ ही मेडिकल कॉलेजों की संख्या भी बढ़ गई है। इसके अलावा प्रदेश में 200 बच्चे पीजी भी कर रहे है. लिहाजा जितने भी हॉस्पिटल पीपीपी मोड पर चल रहे है, उनको 30 दिसंबर तक खत्म कर उन अस्पतालों को राज्य सरकार संचालित करेगी










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