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आरटीई को ताक पर रख एडमिशन के लिए बच्चों की परीक्षा ले रहे निजी स्कूल, मनमानी का आरोप

देहरादून में पिछले दिनों कुछ निजी स्कूलों ने एडमिशन के लिए बच्चों की तीन घंटे की लिखित परीक्षा ली। बच्चों के अभिभावकों के मुताबिक परीक्षा के बाद बच्चों की मेरिट लिस्ट जारी होगी। उसके आधार पर बच्चों का एडमिशन होगा।

शिक्षा सत्र 2025-26 के लिए प्रदेश के निजी विद्यालयों में एडमिशन की अभी से प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। कुछ स्कूल आरटीई एक्ट को ताक पर रखकर बच्चों की तीन घंटे की लिखित प्रवेश परीक्षा ले रहे हैं। स्कूलों पर फीस में मनमानी वृद्धि, पाठ्य पुस्तकें और ड्रेस किसी खास दुकान से लेने के भी स्कूलों पर आरोप लग रहे हैं।

इसके बावजूद राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण की स्थापना के प्रस्ताव के बाद भी इसे शासन की मंजूरी नहीं मिली। देहरादून में पिछले दिनों कुछ निजी स्कूलों ने एडमिशन के लिए बच्चों की तीन घंटे की लिखित परीक्षा ली। बच्चों के अभिभावकों के मुताबिक परीक्षा के बाद बच्चों की मेरिट लिस्ट जारी होगी। उसके आधार पर बच्चों का एडमिशन होगा।

अभिभावकों का कहना है कि छोटे बच्चों को एडमिशन के लिए टेस्ट के नाम पर तीन घंटे तक बैठाए रखना बच्चे का न सिर्फ उत्पीड़न है, बल्कि आरटीई एक्ट की अनदेखी भी है। आरटीई के एक पूर्व विशेषज्ञ के मुताबिक एडमिशन के लिए बच्चों व उनके अभिभावकों की परीक्षा नहीं ली जा सकती। यदि प्रदेश के किसी जिले में इस तरह से लिखित परीक्षा ली जा रही है तो इसके लिए संबंधित जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारी जिम्मेदार हैं।
राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण को नहीं मिली मंजूरी

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत सभी विद्यालयों में न्यूनतम व्यावसायिक एवं गुणवत्ता मानकों का पालन कराने के लिए राज्य एक स्वतंत्र राज्यव्यापी निकाय का गठन करेंगे। वह निकाय बुनियादी मापदंडों, सुरक्षा, बचाव, आधारभूत ढांचा, कक्षाओं और विषयों के आधार पर शिक्षकों की संख्या, सत्यनिष्ठा, प्रशासन आदि के आधार पर न्यूनतम मानक तय करेगा। उन मानकों का सभी सरकारी और निजी विद्यालय पालन करेंगे। एससीईआरटी ने इसके लिए राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण की स्थापना का शासन को प्रस्ताव भेजा है जिसे अब तक मंजूरी नहीं मिली।

लिखित परीक्षा के आधार पर बच्चों के एडमिशन के मामले का परीक्षण कराकर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। – कुलदीप गैरोला, अपर राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा










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