Featured

Big breaking :-जाति प्रमाणपत्र बनाने की प्रक्रिया में सुधार की सिफारिश, मुख्य सचिव को लिखा पत्र

जाति प्रमाणपत्र बनाने की प्रक्रिया में सुधार की सिफारिश, मुख्य सचिव को लिखा पत्र

सेवा का अधिकार आयोग के मुख्य आयुक्त ने मुख्य सचिव को पत्र लिखा है, जिसमें लिखा गया है कि जाति प्रमाणपत्र जारी करने कीसी हैं। वर्तमान व्यवस्था में पात्रता के निर्धारण की स्पष्टता नहीं है

 

 

 

और इसकी शर्तें परस्पर विरोधाभासी हैंउत्तराखंड सेवा का अधिकार आयोग ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया में सुधार की सिफारिश की है। प्रमाणपत्रों के संबंध में लगातार मिल रहीं शिकायतों के आधार पर आयोग के मुख्य आयुक्त एस रामास्वामी ने मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को इस संबंध में पत्र लिखा है।

 

 

 

पत्र में उन्होंने साफ किया कि जाति प्रमाणपत्र जारी करने की वर्तमान व्यवस्था में पात्रता के निर्धारण की स्पष्टता नहीं है और इसकी शर्तें परस्पर विरोधाभासी हैं। मुख्य आयुक्त ने तटस्थ मानकों के बजाय पटवारी या राजस्व अधिकारियों के व्यक्तिगत दृष्टिकोण के आधार पर प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया को आवेदक के हितों विपरीत माना है। उन्होंने जाति प्रमाणपत्र जारी करने के संबंध में वर्ष 2013 के शासनादेश के प्रावधानों में संशोधन की जरूरत भी जताई।

 

पत्र के साथ उन्होंने एक टिप्पणी भी भेजी है, जिसमें जाति प्रमाणपत्र जारी करने की विद्यमान व्यवस्था में सुधार के संबंध में सुझाव दिए हैं। कहा, न्यायालयों द्वारा भी इस संबंध में निर्णय दिए गए हैं। इन निर्णयों के आलोक में उन्होंने न्याय विभाग परामर्श कर शासनादेश जारी करने की अपेक्षा की है।शासनादेश में विरोधाभासी तथ्य

 

 

 

पत्र के साथ टिप्पणी में उन्होंने 2013 के शासनादेश में प्रमाणपत्र के लिए विरोधाभासी शर्तों को रेखांकित किया है। मसलन, अपुणि सरकार पोर्टल में राजस्व विभाग ने जाति प्रमाणपत्र के आवेदन के लिए तीन अनिवार्य दस्तावेज और नौ वैकल्पिक दस्तावेज मांगे हैं। अनिवार्य दस्तावेजों में आवेदक की फोटो, भूमि की रजिस्ट्री/खतौनी, आधारकार्ड व परिवार रजिस्टर की नकल का उल्लेख है। वैकल्पिक दस्तावेजों में खतौनी, हाउस टैक्स, नगर निगम का मूल्यांकन, बिजली का बिल, पानी का बिल, बैंक पासबुक, गैस कनेक्शन, मतदाता पहचानपत्र व राशन की कार्ड की नकल शामिल हैं। टिप्पणी में उन्होंने परिवार रजिस्ट्रार की नकल के सातवें स्तंभ में धर्म का जिक्र किया है। कहा, इससे एससी व ओबीसी की पुष्टि नहीं होती है।

 

 

 

जमीन नहीं तो कहां से लाएगा खतौनी

खतौनी पेश करने की शर्त पर उन्होंने प्रश्न किया, यदि किसी आवेदक के पास जमीन नहीं है तो वह खतौनी की प्रति कैसे पेश करेगा। शासनादेश में एक अन्य विरोधाभासी तथ्य शपथपत्र से जुड़ा है। अपुणि सरकार की सूची में इसे नहीं दर्शाया गया है। यानी आवेदक 10-12 दस्तावेजों को अपलोड करके आवेदन करता भी है तो एक बार उसका आवेदन इस आधार पर रद्द हो जाएगा कि शपथपत्र नहीं है।किरण के बहाने शासनादेश में जागी सुधार की किरण

जाति प्रमाणपत्र जारी करने की मौजूदा प्रक्रिया को लेकर मुख्य आयुक्त ने नैनीताल की बेतालघाट तहसील के रिखोली गांव निवासी किरण की नजीर पेश की है। किरण को जाति प्रमाणपत्र के लिए राजस्व विभाग के कई चक्कर लगाने पड़े, लेकिन नाकाम रहीं। मजबूर होकर उसे सेवा का अधिकार आयोग में गुहार लगानी पड़ी। आयोग ने किरण के बहाने जाति प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। किरण की शिकायत के मुताबिक, वह आधारकार्ड, परिवार रजिस्टर की नकल व राशनकार्ड के आधार पर अनुसूचित जाति की पात्र हैं, लेकिन राजस्व विभाग ने मायके की जाति का साक्ष्य न होने से उसका आवेदन निरस्त कर दिया, जबकि वह विद्यालय की टीसी प्रस्तुत कर चुकी है।अब उससे विवाह का प्रमाणपत्र मांगा जा रहा, जबकि आधारकार्ड, परिवार रजिस्टर व राशन कार्ड में किरण को बबलू की पत्नी दर्शाया गया है, लेकिन किरण से विवाह प्रमाणपत्र मांग कर राजस्व विभाग ने तीनों दस्तावेजों की प्रमाणिकता पर ही प्रश्न चिह्न लगा दिया। मुख्य आयुक्त ने प्रश्न किया, विवाह प्रमाणपत्र से पत्नी की जाति सिद्ध होती है तो अपुणि सरकार में यह दस्तावेजों की सूची में शामिल क्यों नहीं है।










Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

न्यूज़ हाइट (News Height) उत्तराखण्ड का तेज़ी से उभरता न्यूज़ पोर्टल है। यदि आप अपना कोई लेख या कविता हमरे साथ साझा करना चाहते हैं तो आप हमें हमारे WhatsApp ग्रुप पर या Email के माध्यम से भेजकर साझा कर सकते हैं!

Click to join our WhatsApp Group

Email: [email protected]

Copyright © 2024

To Top