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नंबर कम आने पर अब नहीं चलेगा हार्ड मार्किंग का बहाना, यूटीयू ने तैयार किया मॉडल सॉल्यूशन

यूटीयू ने कॉपी मूल्यांकन में एकरूपता लाने के लिए मॉडल सॉल्यूशन तैयार किया है। कॉपी जांचने वाले परीक्षक अंक देते समय मनमानी नहीं कर सकेंगे।अब परीक्षा में नंबर कम आने पर आपका लाड़ला हार्ड मार्किंग का बहाना नहीं बना सकेगा। क्योंकि उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय ने सेमेस्टर परीक्षाओं में कॉपियों के मूल्यांकन में एकरूपता लाने की पहल की है।

 

 

 

इसके तहत 300 से अधिक प्रश्नपत्रों के मॉडल सॉल्यूशन तैयार कराए गए हैं।इसमें दिए गए प्रश्नों के उत्तर के आधार पर सभी छात्रों को एकसमान अंक दिए जाएंगे। साथ ही कॉपी जांचने वाले परीक्षक भी अंक देते समय मनमानी नहीं कर सकेंगे। विश्वविद्यालय की सेमेस्टर परीक्षा संपन्न होने के बाद अब कॉपियों के मूल्यांकन का काम शुरू हो चुका है। मूल्यांकन और फिर रिजल्ट जारी होने के बाद अक्सर कम नंबर आने को लेकर छात्र तरह-तरह की शिकायतें करते नजर आते हैं।

 

शिक्षक समान रूप से मार्किंग कर सकेंगे
यही नहीं अक्सर घर पर तो यही कहा जाता है कि उनके सभी पेपर अच्छे हुए थे, लेकिन कॉपियां जांचने वाले ने ही हार्ड मार्किंग कर दी। यही नहीं छात्र दोबारा कॉपियाें की जांच कराने के लिए भी आवेदन करते हैं। इससे विश्वविद्यालय और छात्र दोनों को परेशानी होती है। अब विवि ने कॉपियां जांचने के लिए मॉडल सॉल्यूशन तैयार कराए हैं।

 

 

बता दें कि एक विषय की कॉपियों को जांचने के लिए अलग-अलग शिक्षकों को भेजा जाता है। कई बार शिक्षक एक ही तरह के जवाब पर कम या ज्यादा नंबर दे देते हैं। लेकिन अब कॉपियों के साथ शिक्षक को मॉडल सॉल्यूशन भी मिलेगा। जिससे कि सभी शिक्षक समान रूप से मार्किंग कर सकेंगे। विवि परीक्षा नियंत्रक डाॅ. वीके पटेल ने बताया कि बीटेक, एमटेक, लॉ, फार्मेसी, होटल मैनेजमेंट, एमबीए, एमसीए, बी ऑर्क, बी फार्मा, एम फार्मा, बीएएलएलबी आदि के करीब 300 से अधिक मॉडल सॉल्यूशन तैयार कराए गए हैं। जिससे परीक्षा मूल्यांकन में एकरूपता आ सकेगी।

विशेषज्ञों की कमेटी से तैयार कराए गए मॉडल सॉल्यूशन

मॉडल सॉल्यूशन को विशेषज्ञों की कमेटी ने तैयार किया है। इसके लिए विवि ने एक विभाग के अलग-अलग विशेषज्ञों से प्रश्नों के उत्तर तैयार कराए हैं। परीक्षा नियंत्रक डाॅ. वीके पटेल ने बताया कि मॉडल सॉल्यूशन की व्यवस्था अनिवार्य नहीं है। लेकिन परीक्षा कार्यों में पारदर्शिता और छात्रों की सुविधा को देखते हुए यह व्यवस्था लागू की गई है।










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