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बौखनाग देवता का आशीर्वाद लेकर सिलक्यारा सुरंग से गुजरेंगे यात्री, अंतिम चरण में कार्य

बाबा बौखनाग आराध्य देवता के रूप में पूजे जाते हैं। तीन वर्ष के अंतराल में उनका भव्य मेला बौख टिब्बा में आयोजित किया जाता है। बाबा बौखनाग ने सुरंग के अंदर फंसे सभी श्रमिकों के तीन दिन में सकुशल बाहर आने की भविष्यवाणी की थी, यह सच साबित हुई थी।

यमुनोत्री हाईवे पर सिलक्यारा बैंड के पास निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग से यात्री बौखनाग देवता का आशीर्वाद लेकर गुजरेंगे। इसके लिए सुरंग के निकट देवता के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य अंतिम चरणों में है। बीते वर्ष हुए सिलक्यारा सुरंग हादसे में बौखनाग देवता सुर्खियों में रहे थे

यमुनाघाटी क्षेत्र की भंडारस्यूं पट्टी से लेकर मुंगरसंती पट्टी तक कई गांवों में बाबा बौखनाग आराध्य देवता के रूप में पूजे जाते हैं, जिन्हें भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप माना जाता है। उनका मूल थान नौगांव ब्लाक के भाटिया गांव में है। इसके अलावा तीन वर्ष के अंतराल में उनका भव्य मेला बौख टिब्बा में आयोजित किया जाता है।

श्रमिकों के तीन दिन में सकुशल बाहर आने की भविष्यवाणी कीथी

वहीं, बीते वर्ष जब सिलक्यारा सुरंग में भूस्खलन हादसा हुआ था तो हादसे के चलते 41 श्रमिक सुरंग के अंदर फंस गए थे। जिनके रेस्क्यू कार्य में बार-बार अड़चन आ रही थी, तब सुरंग निर्माण में लगी नवयुगा कंपनी के अधिकारियों ने भाटिया गांव में पहुंचकर देवता के पश्वा से मदद मांगी थी। जिस पर देवता के पश्वा ने सुरंग के अंदर फंसे सभी श्रमिकों के तीन दिन में सकुशल बाहर आने की भविष्यवाणी की थी, यह सच साबित हुई थी।

 

इसके बाद से लोगों का देवता के प्रति विश्वास बढ़ा। उस समय सिलक्यारा सुरंग के पास प्रस्तावित देवता के मंदिर के लिए स्थान चयनित नहीं था। लेकिन हादसे के बाद उनके मंदिर के लिए स्थान चयनित करते हुए निर्माण कार्य शुरू किया गया, जो कि अब अंतिम चरण में है। गत बृहस्पतिवार को मंदिर के ऊपर 16 त्रिशूल स्थापित किए गए। अब मंदिर में फिनिशिंग टच दिया जा रहा है।










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