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Big breaking :-भारी पड़ी भंडारी की दिल्ली में बिना कपड़े बदलवाए कराई गई हवा हवाई ज्वाइनिंग, जनता ने दल बदलू भंडारी को सिखाया सबक

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*भारी पड़ी भंडारी की दिल्ली में बिना कपड़े बदलवाए कराई गई हवा हवाई ज्वाइनिंग,*

*गोपेश्वर में जिन कपड़ों में भंडारी ने भाजपा को भ्रष्ट बताया, उन्हीं कपड़ों में करनी पड़ी थी दिल्ली में ज्वाइनिंग,*

*संगठन सरकार को बिना विश्वास में लिए हुई ज्वाइनिंग का भुगतना पड़ा खामियाजा*

 

 

 

देहरादून। भाजपा को राजेंद्र भंडारी की दिल्ली में कराई गई हवा हवाई ज्वाइनिंग का खामियाजा आज बदरीनाथ उपचुनाव में करारी हार के रूप में भुगतना पड़ा। बिना संगठन और सरकार को विश्वास में लिए कराई गई ज्वाइनिंग पर उस वक्त भी सवाल उठे थे। उस दौरान जो शंकाए, सवाल उठे थे, वो आज सही साबित हो गए। भंडारी की ज्वाइनिंग इतनी हड़बड़ाहट में हुई थी कि इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिन कपड़ों में भंडारी ने गोपेश्वर में भाजपा को भ्रष्ट बताते हुए पानी पी पीकर कोसा था, भंडारी उन्हीं कपड़ों में महज 16 घंटों के भीतर भाजपा दिल्ली मुख्यालय में ज्वाइनिंग लेने पहुंचे गए थे। इस ज्वाइनिंग में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट तो पहुंच ही नहीं पाए थे।

 

 

 

 

भंडारी को जिस वक्त भाजपा में ज्वाइन कराया गया, उस समय उनकी पत्नी पर जिला पंचायत अध्यक्ष रहते हुए भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप थे। सरकार भंडारी के खिलाफ हाईकोर्ट में लड़ रही थी, तो संगठन बदरीनाथ में सड़कों पर मोर्चा खोले हुए था। ऐसे में जब रातों रात भंडारी को भाजपा ज्वाइन कराई गयी, तो पूरी प्रदेश सरकार समेत भाजपा संगठन, कार्यकर्ता सन्न रह गए थे। कुछ दिन तक कोई कुछ बोलने की ही स्थिति में नहीं रहा। भाजपा के चमोली समेत बदरीनाथ कार्यालय पर तो लंबे समय तक सन्नाटा पसरा रहा।
भंडारी की भाजपा में ज्वाइनिंग इसीलिए भी असहज करने वाली थी, क्योंकि ज्वाइनिंग से महज 16 घंटे पहले तक भंडारी भाजपा पर बेहद आक्रामक हमले कर रहे थे।

 

 

 

गंभीर आरोप लगा रहे थे। भाजपा के खिलाफ कांग्रेस कार्यकर्ताओं को हमलावर होने का आह्वान कर रहे थे। इन हालात में भाजपा में भंडारी की ज्वाइनिंग ने भाजपा कार्यकर्ताओं के मनोबल को ठीक वर्ष 2021 वाली स्थिति पर लाकर खड़ा कर दिया था। लोकसभा चुनाव में जैसे तैसे पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम पुष्कर सिंह धामी के नाम पर जनता, कार्यकर्ता जुट गए, लेकिन विधानसभा उपचुनाव में जनता और कार्यकर्ताओं ने एक सिरे से भंडारी को सबक सीखा दिया यही वजह रही कि कांग्रेस के हल्के आंके जा रहे लखपत बुटोला भी पांच हजार से अधिक वोटों से जीतने में सफल रहे।










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