बता दें कि 58 साल पुराने इस प्रतिबंध की वजह से सेवानिवृत होने के बाद पेंशन लाभ इत्यादि को ध्यान में रखते हुए भी काफी सरकारी कर्मचारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रमों में शामिल होने से बचते रहे थे. हालांकि, इस बीच मध्य प्रदेश सहित कई राज्य सरकारों ने इस आदेश को निरस्त कर दिया था.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने केंद्र की मोदी सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में शामिल होने पर लगे प्रतिबंध को हटाने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि आरएसएस पिछले 99 वर्षों से सतत राष्ट्र के पुनर्निर्माण एवं समाज की सेवा में संलग्न है और सरकार का वर्तमान निर्णय भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को पुष्ट करने वाला है। वहीं, विपक्ष केंद्र सरकार पर हमला बोला है।
आरएसएस ने किया स्वागत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने सरकार के फैसले को लेकर बयान जारी कर कहा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गत 99 वर्षों से सतत राष्ट्र के पुनर्निर्माण एवं समाज की सेवा में संलग्न है। राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता-अखंडता एवं प्राकृतिक आपदा के समय में समाज को साथ लेकर संघ के योगदान के चलते समय-समय पर देश के विभिन्न प्रकार के नेतृत्व ने संघ की भूमिका की प्रशंसा भी की है।
आंबेकर ने आगे कहा, अपने राजनीतिक स्वार्थों के चलते तत्कालीन सरकार द्वारा शासकीय कर्मचारियों को संघ जैसे रचनात्मक संगठन की गतिविधियों में भाग लेने के लिए निराधार ही प्रतिबंधित किया गया था। शासन का वर्तमान निर्णय समुचित है और भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को पुष्ट करने वाला है।
जानिए पूरा मामला
आपको बता दें कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी करते हुए सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में शामिल होने पर लगा प्रतिबंध हटा लिया है। केंद्र सरकार ने 1966, 1970 और 1980 में तत्कालीन सरकारों द्वारा जारी उन आदेशों में संशोधन किया है, जिनमें सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की शाखाओं और उसकी अन्य गतिविधियों में शामिल होने पर रोक लगाई गई थी।
मोदी सरकार ने पलटा 58 साल पुराना फैसला; अब RSS की शाखाओं में जा सकेंगे सरकारी कर्मचारी, मायावती भड़कीं –
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में सरकारी कर्मचारियों के जाने पर लगे 58 साल पुराने प्रतिबंध को हटा लिया है. यानी अब सरकारी कर्मचारी भी आरएसएस की शाखाओं में जा सकते हैं. केंद्र सरकार के इस निर्णय का बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कड़ा विरोध किया है.उन्होंने इस निर्णय को तत्काल वापस लेने की मांग की है. तर्क दिया है कि आरएसएस राजनीतिक गतिविधियों में लिप्त है. लिहाजा, सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस की शाखाओं में जाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए. सरकार का यह कदम बिल्कुल गलत है. इसे हरहाल में वापस लेना चाहिए. बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट की है.मायावती ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस की शाखाओं में जाने पर 58 वर्ष से जारी प्रतिबंध को हटाने का केन्द्र का निर्णय देशहित से परे है. राजनीति से प्रेरित संघ तुष्टीकरण का निर्णय है, जिससे सरकारी नीतियों व इनके अहंकारी रवैयों आदि को लेकर लोकसभा चुनाव के बाद दोनों के बीच तीव्र हुई तल्खी दूर हो.सरकारी कर्मचारियों को संविधान व कानून के दायरे में रहकर निष्पक्षता के साथ जनहित व जनकल्याण में कार्य करना जरूरी होता है, जबकि कई बार प्रतिबन्धित रहे आरएसएस की गतिविधियां काफी राजनीतिक ही नहीं बल्कि पार्टी विशेष के लिए चुनावी भी रही हैं. ऐसे में यह निर्णय अनुचित है, इसे वापस लेना चाहिए. इस मुद्दे पर कांग्रेस भी आवाज उठा चुकी है.


