रिपोर्ट : राहुल बहल
यमुना नदी के बाड़वाला खनन पट्टे पर ये कैसी अंधेरगर्दी चल रही है, जो किसी भी जिम्मेदार विभाग को दिखाई नहीं दे रही है, जबकि दिन दहाड़े यहाँ JCB, HM, बुल्स ट्रैक्टर जैसी मशीनों से देव तुल्य यमुना नदी को धड़ल्ले से छलनी किया जा रहा है। निश्चित तौर पर जिला खान विभाग और खननबाज लोग धामी सरकार की साख पर यहाँ बट्टा लगाने का काम कर रहे हैं, जाहिर सी बात है कि वास्तविकता को ऊपर तक नहीं पहुँचने दिया जा रहा है, ऐसे में धामी सरकार के विश्वासपात्रों को यहाँ ध्यान देने और सही सूचना को सही मंच तक पहुँचाने की आवश्यकता है।
दरअसल बाड़वाला के इस क्षेत्र से दिन रात तमाम डंपरों में हाइड्रोलिक मशीनों द्वारा ओवरलोड RBM भरा जा रहा है जिसके बाद ये डंपर सड़कों पर काल बनकर दौड़ रहे हैं जो लगातार सड़क हादसों की वजह भी बन रहे हैं। दिन भर तमाम डंपरों में यहाँ RBM भरा जाता है जिसके बाद ये डंपर दिन ढलने तक यहीं एकत्रित रहते हैं और रात होते ही इन सैकड़ों डंपरों की बाड़ सड़कों पर आ जाती है जो विकासनगर बाज़ार से होते हुए सीधा लांघारोड से मेन रोड दून पौंटा राष्ट्रीय राजमार्ग के मुख्य तिराहे तक पहुंचते हैं जहाँ खौफनाक लंबी कतारें इन डंपरों की देखी जाती हैं और रात 11 बजे के बाद इन डंपर को आगे जाने दिया जाता है। वैसे तो कुछ ओवरलोड डंपर दिन दहाड़े भी सड़कों पर दौड़ते देखे जा रहे हैं लेकिन सूत्रों की मानें तो असल खेल रात में शुरू होता है जब RBM से भरे ये तमाम डंपर कैंचीवाला स्थित स्टोन क्रेशर तक पहुंचाये जाते हैं और ऊंची पहुँच वाले इन क्रेशर स्वामीयों के क्रेशर का धंदा मंदा न पड़े इसलिये ही बाड़वाला से कैंचीवाला तक ये खेल खेला जा रहा है। सूत्रों ने ये भी बताया कि बाड़वाला में स्थित खनन पट्टा एक स्थाई पट्टा है जो कुछ समय पहले ही स्वीकृत हुआ है और ऐसे पट्टे में मजूदरों द्वारा ही नदी से चुगान का प्रावधान है, जबकि इस पट्टे पर खुल्लम खुल्ला चुगान के लिये हैवी हाइड्रोलिक मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है, हालांकि रिवर टेनिंग के पट्टो पर जो कि अस्थायी पट्टे होते हैं उन्हें कुछ दिनों के लिये ही विभाग से स्वीकृत किया जाता है उनमें मशीनों से चुगान की अनुमति प्रदान की जाती है, क्योंकि वर्तमान में चल रहा बाड़वाला में संचालित पट्टा रिवर टेनिंग का पट्टा नहीं बताया जा रहा है तो ऐसे में किस आधार पर यहाँ हाइड्रोलिक मशीनें यमुना नदी में कहर बरपा रही हैं ये बड़ा सवाल बना हुआ है, इतना ही नहीं वीडियो में दिख रही इन भारी भरकम मशीनों से इतने गहरे और बड़े गड्ढे यमुना नदी के सीने पर कर दिये गये हैं कि बाहर से इन गड्ढों में घुसे मशीन या डंपर भी दिखाई नहीं दे रहे हैं, यमुना नदी की ये दुर्दशा पूरी तरह से मानकों के विपरीत है। इतना सबकुछ होने के बावजूद कमाल की बात यह है की इस मामले में जिला खान विभाग पूरी तरह से आँखों पर पट्टी बाँधे बैठा हुआ है जैसे कि खनन विभाग द्वारा पट्टा स्वामीयों को मनमर्जी करने की मौन स्वीकृति प्रदान की गई हो, निश्चित तौर पर खनन विभाग की मिली भगत के इतने बड़े स्तर पर अवैध खनन का ऐसा गोरखधंदा चलना संभव नहीं है, हैरानी की बात है कि बाड़वाला यमुना पुल से स्पष्ट देखा जा सकता है इस पट्टे की आड़ में यमुना नदी में क्या-क्या किया जा रहा है लेकिन जिला खान विभाग और अन्य संबंधित विभाग यहाँ झांकने तक की जहमत नहीं उठाते वो भी तब जब जिला खान अधिकारी द्वारा ये दावे किये जाते हैं कि वो क्षेत्र में लगातार गश्त कर रहे हैं अवैध खनन पर कार्यवाई कर रहे हैं, ऐसे में पूरे खनन विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठना लाजिमी है जो कि धामी सरकार की छवि पर भी पलीता लगाने का काम कर रहा है।
